हाथरस गैंगरेपः यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट का नोटिस, डीएम सहित वरिष्ठ अधिकारी तलब


हाथरस ज़िले की 19 साल की दलित युवती की कथित बलात्कार और बर्बरतापूर्वक मारपीट के बाद हुई मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है.


लखनऊः उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.


स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों और हाथरस के जिलाधिकारी (डीएम) एवं पुलिस अधीक्षक (एसपी) को नोटिस जारी कर तलब किया है.


अदालत ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक महत्व और जनहित में है क्योंकि इसमें राज्य सरकार के अधिकारियों की मनमानी शामिल है, जिस वजह से न सिर्फ पीड़िता के बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के भी बुनियादी मानवीय और मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है.


जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह ने कहा कि इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया है. उन्होंने कहा, ’29 सितंबर को पीड़िता की मौत के बाद हुई घटनाओं (अंतिम संस्कार) ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है इसलिए हम इस मामले पर स्वतः संज्ञान ले रहे हैं.


न्यायाधीशों ने कहा कि पीड़िता के जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार ने परिवार के दुख को और बढ़ा दिया.


उन्होंने कहा, ‘पीड़िता के साथ अपराधियों ने अत्यंत बर्बरता के साथ व्यवहार किया और जो उसके बाद हुआ, अगर सच है तो इससे पीड़ित परिवार के दुख को बढ़ाया है और उसके घावों पर नमक लगाने का काम किया है.’


पीठ ने कहा, ‘हमें इसी जांच करनी होगी कि क्या पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है, क्या राज्य सरकार ने पीड़ितों के अधिकारों का मनमाने और अवैध तरीके से हनन किया है. अगर यह सही है तो यह ऐसा मामला होगा, जहां न सिर्फ जवाबदेही तय करनी होगी बल्कि भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सख्त कार्रवाई करनी होगी.’


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी, जिस दौरान अदालत ने हाथरस के डीएम सहित राज्य और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पेश होने को कहा है.


इसके साथ ही पीड़िता के परिवार को भी मौजूद रहने को कहा गया है. दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई के दिन पीड़ित परिवार के सदस्य भी मौजूद रहेंगे ताकि अदालत आधी रात को पुलिस द्वारा किए गए अंतिम संस्कार को लेकर उनका पक्ष भी सुन सकें.


पीठ ने कहा कि यह भी तय किया जाएगा क्या कानून के अनुरूप मामले की जांच और इसकी निगरानी किसी स्वतंत्र एजेंसी के जरिये कराई जाए या नहीं.


अदालत ने कहा कि इसकी भी जांच की जानी चाहिए क्या राज्य प्रशासन ने पीड़ितों को दमन करने और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने के लिए पीड़ित परिवार की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का लाभ उठाया.


पीठ ने कहा, ‘इस संदर्भ में हमने एक अक्टूबर को इंडियन एक्सप्रेस अखबार के लखनऊ संस्करण में छपी खबर का संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि मंगलवार को रात 9.30 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से पीड़िता का शव हाथरस के लिए रवाना होने से लेकर बुधवार तड़के लगभग 3.30 बजे हाथरस के गांव में उसका जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने तक प्रोटोकॉल की अवहेलना हुई है और पुलिस द्वारा मनमाने तरीके से परिवार की गैरमौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया है.’


अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में पीड़िता के पिता के हवाले से कहा गया है कि बिना उन्हें सूचित किए पीड़िता के शव को अस्पताल से रिलीज किया गया. इसके साथ ही अंतिम संस्कार के समय से परिवार को नहीं पड़ने वाले फर्क को लेकर पुलिस के बयान से भी इनकार किया.


पीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिश्चित करें कि पीड़िता के परिवार पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़े.


बता दें कि आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.


उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.


करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.


परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया है. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.


युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.


अदालत ने 12 अक्टूबर को राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव/मुख्य सचिव (गृह), डीजीपी, अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था), हाथरस जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को तलब किया है.


अधिकारियों से उनके पक्ष को सबूतों के साथ अदालत के सामने रखने और जांच की स्थिति को लेकर अपडेट करने को कहा है. पीठ ने हाथरस के जिला न्यायाधीश से भी इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है.


बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था.


इस संबंध में मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी और मुख्य सचिव को चार हफ्ते में घटना की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.


इस बीच गुरुवार को हाथरस के डीएम द्वारा कथित तौर पर पीड़ित परिवार को धमकाने का एक वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया है.


सोशल मीडिया पर वायरल हुए 22 सेकेंड के इस कथित वीडियो में हाथरस के डीएम मृतक युवती के पिता से कहते नजर आ रहे हैं, ‘आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करिए. मीडियावालों के बारे में मैं आपको बता दूं कि आज अभी आधे चले गए. कल सुबह तक आधे और निकल जाएंगे. दो-चार बचेंगे कल शाम तक.’


वे आगे कहते नजर आ रहे हैं, ‘तो हम ही आपके साथ खड़े हैं. अब आपकी इच्छा है कि आपको बार-बार बयान बदलना है, नहीं बदलना हैं. अभी हम भी बदल जाएं…’


इस वीडियो के सामने आने के बाद मामले की जांच कर रही पुलिस और जिला प्रशासन सवालों को घेरे में हैं. सोशल मीडिया पर उनकी जांच को लेकर संदेह जताते हुए तमाम पोस्ट किए जा रहे हैं.


बहरहाल इस वीडियो के सामने आने के बाद समाचार चैनल इंडिया टुडे/आज तक की टीम ने इस संबंध में जानकारी के उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.


इतना ही नहीं गुरुवार को ही राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि मृत युवती के साथ बलात्कार नहीं किया गया.


अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने लखनऊ में कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी. फॉरेंसिक रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.


इससे पहले हाथरस के पुलिस अधीक्षक से जब यह पूछा गया था कि घटना के 12 दिन हो गए हैं, युवती की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है या नहीं. तो उन्होंने बात को टालते हुए कहा था, ‘मेडिकल रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है, अभी उसे देखा नहीं गया है लेकिन हमने आरोपियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की धारा मामले में जोड़ दी है.’


राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिख जवाब मांगा


राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से हाथरस सामूहिक बलात्कार पीड़िता के शव का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.


आयोग ने कहा कि यह घटना में समाज में महिलाओं की गंभीर स्थिति को उजागर करती है. देर रात को पीड़िता के गांव में जो हुआ, वह परेशान करने वाला है.


बयान में कहा गया, ‘यह बताया गया है कि पुलिस ने पीड़िता के परिवार की गैरमौजूदगी में रात 2.30 बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार किया.’


पीड़िता के परिवार ने कथित तौर पर डीएम से अंतिम संस्कार के लिए बेटी के शव को घर ले जाने की अपील की थी लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी और परिवार की गैरमौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया.


आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर पीड़िता के अंतिम संस्कार में जल्दबाजी का कारण पूछा है और प्रशासन से जल्द से जल्द इसका जवाब भेजने को कहा है.


इससे पहले आयोग ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी.


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