सी॰एल॰ गुप्ता के कलम से



                                              अधिवक्ता  सी॰एल॰ गुप्ता 


चलो दिवाली मनाते हैं , 
जलने बालों को  और जलाते हैं
चलो फिर इस बार  दिवाली मनाते हैं
ज़ख़्म  गहरे  दिए है इस बार साल २०२० में
चलो इसको पीछे छोड़ आते है
चलो दिवाली मनाते है, 
ज़रूरी नही हार बॉर जीत ही मिलें 
इस बार  अनुभव से सिख कर नया सवेरा लातें हैं
  चलो फिर इस बार दिवाली मनाते हैं
क्या हुआ जो हासिल नही हुआ , 
अपने हौसलों को नयी मंज़िल बताते हैं
चलो इस बॉर दिवाली मनाते हैं
यूँ मुश्किलों से नही डरते , 
मुश्किलों को अपने  होसलों से मिलवाते हैं
हाँ इस बार दिवाली मनाते है 
जो रूठे है - जो ख़फ़ा हैं , उन्हें  मनाते हैं
चलो फिर इस बार दिवाली मनाते हैं
मेरे हौसले भी किसी हकीम से कम नही है साहब 
मेरी हर  तकलीफ़ मेन मेरे दर्द की दवा बन जाते है
चलो इस बार दिवाली मनाते हैं, 
एक दीया सबके के लिए जलाते हैं
चलो फिर एक बार दिवाली मनाते है
अपने हैसलो में नया जुनून  जगाते हैं
चलो फिर इस बार दिवाली मनाते हैं
मुश्किलें मेरे हौसलों से बड़ी नही है, 
इन मुश्किलों यही समझाते है
चलो फिर इस बार दिवाली मनाते है
चलो इस बार  फिर दिवाली मनाते हैं


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