दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोविड-19 से उबर रहे कई लोगों में ऐसा दुर्लभ और जानलेवा फंगल इंफेक्शन पाया जा रहा है, जिससे लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है. बीते 15 दिन में ऐसे 12 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
हिंदी दैनिक आज का मतदाता नई दिल्लीः दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोविड-19 से उबर रहे कई लोगों में ऐसा दुर्लभ और जानलेवा फंगल इंफेक्शन पाया जा रहा है, जिससे उनमें से लगभग आधे लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है.
अस्पताल के आंख-नाक-गला (ईएनटी) चिकित्सकों के सामने बीते 15 दिन में ऐसे 12 से अधिक मामले सामने आए हैं.
उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक समस्या दुर्लभ है, लेकिन नई नहीं है. कोविड-19 से होने वाला फंगल संक्रमण इसमें नई बात है.
अस्पताल ने एक बयान में कहा, बीते 15 दिन में ईएनटी चिकित्सकों के सामने कोविड-19 के चलते फंगल संक्रमण के 12 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें 50 प्रतिशत मामलों में रोगियों की आंखों की रौशनी चली गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की वजह से म्यूकोरमाइकोसिस फंगस होने के बीते पंद्रह दिनों में 12 से अधिक मामले सामने आए हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि इस संक्रमण से आंखों की रोशनी जाना, नाक और जबड़े की हड्डी का खत्म होना और दिमाग को प्रभावित करने के मामले में 50 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस, जिसे पहले जाइगोमाइकोसिस कहा जाता था, एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जो पर्यावरण में मौजूद म्यूकोरमाइसिटीस नाम के कोशिकाओं के समूह से होता है.
म्यूकोरमाइकोसिस मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या वे दवाएं लेते हैं, जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम करते हैं.
गंगाराम अस्पताल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल का कहना है, ‘कोविड के चलते होने वाले म्यूकोरमाइकोसिस के केस जिस तीव्रता से मिल रहे हैं, वह चिंताजनक है. अगर आंख और गाल में सूजन, नाक बंद होना, नाक में काला क्रस्ट जमा हो जाने जैसे लक्षण मिलते हैं तो तुरंत बायोप्सी करवाकर इलाज शुरू कर देना चाहिए.’
डॉक्टरों का कहना है कि इसके लक्षणों में चेहरे का सुन्न होना, एक तरफ की नाक बंद होना, आंखों में सूजन या दर्द होना है. ईएनटी सर्जन से इसकी जांच के बाद तुरंत इलाज कराने से नुकसान को बचाया जा सकता है.
डॉक्टरों का कहना है कि एक मामले में कोरोना से उबर रहे 32 साल के युवक की पहले बायीं नाक बंद हो गई, जिसके बाद दो दिनों के भीतर तेजी से उसकी आंखों में सूजन आ गई. इसके बाद उसने डॉक्टर से संपर्क किया. युवक के चेहरे का बायां हिस्सा पूरी तरह से सुन्न था.
डॉ. मुंजाल ने कहा, ‘टेस्ट में पता चला कि उसका शुगर और इन्फेक्शन लेवल काफी ज्यादा है. उससे ज्यादा गंभीर बात थी कि म्यूकर फंगस उसे संक्रमित कर चुका था. एमआरआई से पता चला कि संक्रमण की वजह से उसके बायीं ओर के साइनस (नाक), आंख, ऊपरी जबड़े की हड्डी और मांसपेशियों के महत्वपूर्ण हिस्से को नष्ट कर दिया था और यहां तक कि संक्रमण दिमाग तक पहुंच गया था.’
डॉक्टर ने कहा कि ईएनटी और आंखों के डॉक्टरों की एक टीम ने युवक की सर्जरी की और मरीज को दो सप्ताह तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया.
डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआत में ही इसका पता चलने पर इलाज कराने से आंखों की रोशनी, नाक और जबड़े को बचाया जा सकता है.