रोजगार के साथ-साथ संस्कार का होना भी अनिवार्य है, सुरेश नागर

 

सुरेश नागर

हिंदी दैनिक आज का मतदाता गाजियाबाद ,जीटी रोड निकट बाजार इंडिया  न्यू पंचवटी स्थिति आर्यभट्ट गुरुकुल इंस्टीट्यूट के चेयरमैन सुरेश नागर ने एक वार्ता के अंतर्गत शिक्षा और संस्कार से संबंधित अनेक दिल के करीबी पहलुओं पर चर्चा की और कहा कि आज शिक्षा बहुत आवश्यक है लेकिन शिक्षित व्यक्ति को अपने शिक्षा का सदुपयोग करना चाहिए आज शिक्षा और संस्कार दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं यदि व्यक्ति शिक्षित है और वह संस्कार से संबंधित मूल्यों को भलीभांति समझता है तो उसे रोजगार अर्जित करने के साथ-साथ सामाजिक तरक्की करने में कोई रोक नहीं सकता । आपने कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा ही शिक्षा को उच्च स्थान देती आई है, शिक्षित व्यक्ति करोड़ों व्यक्तियों में भी अपनी पहचान को इस रूप में परिभाषित करता है जिससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहती है । सुरेश नागर ने अपनी वार्ता के दौरान यह कहा कि आज की युवा पीढ़ी को या समझना बहुत आवश्यक है कि उसके पास रोजगार तो हो लेकिन वह संस्कार को ना भूल पाए, तभी वह रोजगार से अर्जित हुए धन को अपने, अपने परिवार व समाज की भलाई पर खर्च कर सकता है और संतुष्ट रह सकता है। सुरेश नागर आर्यभट्ट गुरुकुल की स्थापना से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि क्यों कि मेरा जीवन यापन दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में हुआ है और मैं   शहर और ग्रामीण दोनों की स्थितियों से भलीभांति परिचित हूं इसलिए मुझे यह संकल्प के साथ कदम बढ़ाना बड़ा की दिल्ली एनसीआर में ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को शिक्षा के प्रति योग्यता का सदुपयोग करते हुए अपने को राष्ट्रीय परिपेक्ष एक शीर्ष प्रतियोगी नौकरी को हासिल करने में किसी भी रूप में ना पीछे रह पाए ,बल्कि सबसे अग्रणी रहे इसी बात को ध्यान में रखते हुए आर्यभट्ट गुरु का स्थापना की गई जिसे यह इंस्टिट्यूट धीरे-धीरे सभी विद्यार्थियों में अपना उद्देश्य को प्राप्त करने के लक्ष्य को सही मार्गदर्शन दे रही है । सुरेश नागर ने बहुत सारी बातों पर चर्चा की और कहा कि हमारे भारत देश में प्रारंभ से ही यहां की शैक्षणिक व्यवस्था में महिलाओं और लड़कियों के प्रति कहीं न कहीं सुविधाओं को लेकर, उनकी पढ़ाई की मानसिकता को लेकर एक लंबी बहस होती रही है, मैं केंद्र सरकार और राज्य सरकार से अपील करता हूं की की लड़कियों के उत्थान और उनकी सामाजिक परिकल्पना को पुरुषों के समकक्ष रखने के उद्देश्य उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ और भी सुविधाएं देना आवश्यक है जिससे कि वह आत्मनिर्भर बने, और सम्मान पूर्वक जीवन यापन में अपने को स्थापित कर सकें, आपने कहा कि आर्यभट्ट गुरुकुल इंस्टिट्यूट इसी उद्देश्य को अपने द्वारा एक कदम आगे बढ़ाते हुए लड़कियों को, महिलाओं को अपने इंस्टिट्यूट में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने हेतु अधिक से अधिक फीस में छूट देने की व्यवस्था रखा है इसके साथ-साथ यदि कोई भी विकलांग युवक या युवती  अपने को प्रतियोगी प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी हेतु आर्यभट्ट गुरुकुल का हिस्सा बनती है तो उन्हें निशुल्क शिक्षण की व्यवस्था आर्यभट्ट द्वारा प्रदान की जाएगी अंत में आपने एक बात को बहुत ही विनम्रता पूर्वक और जोर देते हुए कहा कि आज की आगामी युवा पीढ़ी अपने समय का सदुपयोग करें अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करें और पूर्ण समर्पण भावना से उस पर अमल करते हुए आगे बढ़े मैं सभी युवा विद्यार्थियों को यह संदेश देना चाहता हूं कि जब वे अपने लक्ष्य को निर्धारित करेंगे तो उस तक पहुंचने में उन्हें कोई भी बाधा रोक नहीं सकती

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