राज्य में ज़िला पंचायत चुनावों से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा से जुड़े किसान नेताओं को किसानों के बीच जाकर कृषि क़ानूनों संबंधी ‘भ्रांतियां’ दूर करने की ज़िम्मेदारी दी है. हालांकि शामली क्षेत्र में पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान और भाजपा के अन्य नेताओं को किसानों की ख़ासी नाराज़गी झेलनी पड़ी.
मेरठ/मुजफ्फरनगर/नई दिल्ली: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच किसानों और खाप चौधरियों से बातचीत करने गए केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान और भाजपा के अन्य नेताओं को शामली जिले में रविवार को किसानों की खासी नाराजगी झेलनी पड़ी.
भैंसवाल गांव में खाप चौधरियों ने भाजपा प्रतिनिधि मंडल में शामिल केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह समेत कई भाजपा नेताओं से मिलने तक से इनकार कर दिया.
किसानों से बातचीत करने जा रहे भाजपा नेताओं का ग्रामीणों ने ट्रैक्टर लगाकार कई जगह काफिला रोक दिया और भाजपा और मंत्रियों के खिलाफ नारे लगाए.
बालियान का काफिला रविवार को भैंसवाल गांव पहुंचा था, जहां एकत्र हुए किसानों ने बालियान और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की. किसानों ने नारा लगाया ‘पहले तीनों कानून वापस कराओ, फिर गांव में आओ.’
स्थानीय किसान नेता सवीत मलिक ने बताया कि केंद्रीय मंत्री बालियान समेत भाजपा के कई जनप्रतिनिधि भैंसवाल गांव में आए थे, जिनका विरोध हुआ और सरकार पहले दिन से इसे चंद किसानों का आंदोलन बताने की भूल कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसी तरह शामली के लिसाद गांव में भी भाजपा नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ा जिसमें बुढाना से विधायक उमेश मलिक भी शामिल थे.
दरअसल, जिला पंचायत चुनावों से पहले भाजपा जाट वोटों को वापस हासिल करने की जुगत में लगी है.
भाजपा कार्यकारिणी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने पिछली बार पश्चिम यूपी की 26 जिला पंचायतों में से 25 में जीत हासिल की थी और जाट समुदाय की कम से कम 18 में महत्वपूर्ण मौजूदगी है.’
रविवार को भाजपा नेता जिसा लिसाद गांव में गए थे वह खाप पंचायत नेता बाबा हरिकिशन का गांव है और क्षेत्र में उनके प्रशंसकों की बड़ी संख्या है. हरिकिशन ने कहा कि समुदाय अब पीछे हटने वाला नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हमने बालियान और भूपेंद्र चौधरी को स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र को कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए. हमने उन्हें यह भी बताया कि पिछले सीजन के दौरान भी गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान नहीं किया गया था.’
वहीं, किसानों के विरोध के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चंद लोगों के विरोध के चलते वह रुकने वाले नहीं है और किसानों को सच्चाई बताने का काम करते रहेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमने लोगों को आश्वासन दिया कि हम हर संभव कोशिश करेंगे कि उनकी शिकायतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया जाए.’
बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिमी यूपी में लगातार एक के बाद एक महापंचायतें हो रही हैं जिसमें लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं. इसकी शुरुआत 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर से हुई थी.
इनमें से दर्जनों महापंचायतों को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) नेता जयंत चौधरी से संबोधित किया जबकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी कई पंचायतों को संबोधित कर चुकी हैं.
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 28 फरवरी को मेरठ में एक पंचायत को संबोधित करने वाले हैं.
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा से जुड़े किसान नेताओं और खास तौर से जाट नेताओं को खाप चौधरी और किसानों के बीच पहुंच कर कृषि कानूनों को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की जिम्मेदारी दी है. 15 फरवरी को उन्होंने यूपी, हरियाणा और राजस्थान के जाट नेताओं के साथ बैठक की थी.
एक हालिया महापंचायत में इस बैठक के बारे में बात करते हुए जयंत चौधरी ने कहा, ‘हमें पता चला है कि अमित शाह और अन्य भाजपा नेता जाति और सांप्रदायिक आधार पर किसानों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं… हमें एकजुट रहना चाहिए.’
मुजफ्फरनगर में काल खंड खाप के बाबा संजय सिंह ने कहा कि वे भाजपा द्वारा किसान और आतंकवादी कहने से निराश हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर कोई भाजपा नेता हमसे बात करना चाहता है तो वह पहले इस्तीफा दे. उन्हें हमारी तरह हम में से एक होना चाहिए.’
बीते दिनों भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता नरेश टिकैत ने भाजपा के सामाजिक बहिष्कार का सुझाव दिया था और उनके गांव सिसौली के साथ पड़ोसी क्षेत्रों में इसका भारी असर देखने को मिल रहा है.
टिकैत को मुख्य रूप से जाटों का गांव माने जाने वाले 84 गांवों का चौधरी माना जाता है और उनकी ग्रामीण मुजफ्फरनगर में मजबूत पकड़ है.
सिसौली के 24 वर्षीय किसान अजीत चौधरी ने कहा, हमारे पास एकता की एक मजबूत भावना है और इस कारण (किसान आंदोलन) ने हमें और एकजुट किया है. हमने भाजपा नेताओं को प्रवेश नहीं दिया. कानून रद्द होने के बाद भी उन्हें हमसे बात करना चाहिए.’
चौधरी खाप के सचिन चौधरी ने कहा, ‘कोई भी विधायक, सांसद या नेता को हमसे मिलने नहीं आना चाहिए. यदि वे कृषि कानूनों के बारे में बात करना चाहते हैं, तो उन्हें इसे संयुक्त किसान मोर्चा के साथ करना चाहिए. मोर्चा हमसे जो भी कहे, हम करेंगे.’
इसका असर सांसद बालियान के मूल गांव कुटबा में भी देखने को मिल रहा है. कुंवर पाल सिंह दीवान ने कहा, ‘परंपरागत रूप से, जाटों ने हमेशा भाजपा का समर्थन किया है. लेकिन इस बार एक बदलाव है. हम बालियान का पूरी तरह से बायकॉट नहीं कर सकते या उन्हें रोक नहीं सकते क्योंकि उनका घर यहीं है. लेकिन तथ्य यह है कि लोग भाजपा से नाखुश हैं. टिकैत और उनके परिवार की हम इज्जत और आदर करते हैं.’
वहीं, संभल के भडरौला में स्थानीय लोगों ने भाजपा सदस्यों के प्रवेश पर पाबंदी वाला एक बोर्ड लगाया हुआ है. हालांकि, भाजपा का कहना है कि टिकैत ने खुद सफाई दी है कि उन्होंने बहिष्कार की ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.
बालियान ने कहा, ‘पिछले दो दिनों से मैं इस क्षेत्र में हूं और मुझे ऐसी किसी भी चीज (बहिष्कार) का सामना नहीं करना पड़ा है. मैं सिसौली के ठीक बगल में जैतपुर गांव में था और वहां कई घंटे बिताए. मैंने सार्वजनिक समारोहों के लिए आसपास के अन्य गांवों का भी दौरा किया. हमें स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त है.’
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि टिकैत एक कृषि नेता हैं और वह एक जन प्रतिनिधि हैं और दोनों की विशिष्ट भूमिकाएं हैं.
बालियान ने कहा, ‘मैं टिकैत का सम्मान करता हूं क्योंकि वह मेरे समुदाय का नेता भी है. लेकिन एक लोक सेवक के रूप में हमारा काम बिना किसी रोक-टोक के जारी रहेगा.’
बुढाना से भाजपा विधायक उमेश मलिक ने कहा, ‘लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं, वास्तव में समर्थन बढ़ा है. सिसौली मेरी विधानसभा सीट का हिस्सा है और मैं स्थानीय लोगों से नियमित रूप से मिलता हूं.’
बायकॉट के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर इंडियन एक्सप्रेस से टिकैत ने कहा था, ‘मेरे शब्दों का गलत मतलब निकाला जा रहा है. मैंने केवल यह कहा था कि लोगों को माहौल को ख़राब करने की कोशिश करने वालों से नहीं उलझना चाहिए.’
मुजफ्फरनगर में भाजपा कार्यकर्ताओं और युवकों के बीच झड़प, तीन लोग घायल
मेरठ से सटे मुजफ्फरनगर जिले के थाना शाहपुर क्षेत्र के सोरम गांव में सोमवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान का कुछ लोगों ने विरोध किया जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ता और विरोध कर रहे लोग आपस में भिड़ गए. इस घटना में तीन लोग घायल हो गए.
इलाके के थाना प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता एवं पूर्व मंत्री योगराज सिंह घटना में घायल हुए तीन लोगों को लेकर थाने आए थे, उन्हें मामूली चोटें आई थीं और तीनों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है.
उन्होंने बताया कि अभी तक घटना के संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
रालोद नेताओं का आरोप है कि सोरम गांव में एक कार्यक्रम में गए बालियान का विरोध करने वालों की पिटाई की गई. उन्होंने कहा कि कुछ युवकों ने बालियान का विरोध कर रहे युवकों की पिटाई की जिसके बाद दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ.
संजीव बालियान के जाने के बाद सोरम गांव में पंचायत हुई. पंचायत में कहा गया कि हमला करने वाले केंद्रीय मंत्री के साथ ही थे.
झड़प के बाद रालोद नेता जयंत चौधरी ने ट्वीट किया, ‘सोरम गांव में बीजेपी नेताओं और किसानों के बीच संघर्ष हुआ है. कई लोग घायल हैं. किसान के पक्ष में बात नहीं होती तो कम से कम व्यवहार तो अच्छा रखो. किसान की इज़्ज़त तो करो. इन कानूनों के फायदे बताने जा रहे सरकार के नुमाइंदों की गुंडागर्दी बर्दाश्त करेंगे गांववाले?’
वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने ट्वीट किया, ‘आज जब सोरम में स्वर्गीय श्री राजबीर सिंह जी की शोकसभा एवं रस्म पगड़ी में शामिल हुआ तो राष्ट्रीय लोकदल के पांच-छह नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने बदतमीजी और गाली गलौज की. इस पर स्थानीय निवासियों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और वहां से भगा दिया. लोकदल पार्टी ने जिस तरह से किसानों की आड़ में आपसी भाईचारा खराब करने का प्रयास किया वह निंदनीय है.’
रालोद के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री मैराजुउदीन अहमद ने घटना पर कहा कि इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होगा.