बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी बैंकों को सरकारी कामकाज करने की अनुमति देने का विरोध किया

केंद्र ने निजी क्षेत्र के बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति दे दी है. बैंक अधिकारियों के संगठनों ने दावा किया कि निजी बैंकों को सरकारी कामकाज की अनुमति देने से ऐसे बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं होगी.

(फोटो: रॉयटर्स)

(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी क्षेत्र के बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति देने के केंद्र के निर्णय का विरोध किया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा था, ‘निजी बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक हटा ली गई है. अब सभी बैंक इसमें शामिल हो सकते हैं. निजी बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं.’

बृहस्पतिवार को संयुक्त विज्ञप्ति में बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ने कहा, ‘यह हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के नियम, ग्रामीण/छोटे कस्बों में शाखा विस्तार, कृषि कर्ज जैसे नियमों के मामले में छूट दी गई है. वहीं सार्वजिक क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को ऋण, कृषि क्षेत्र को कर्ज समेत विभिन्न नियमों का अनुपालन करना होता है.’

बैंक अधिकारियों के ये संगठन हैं- ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ).

इन संगठनों का कहना है कि सरकारी कामकाज को निजी बैंकों के लिए खोलने से उन्हें समाज के वंचित और गरीब तबकों की लागत पर लाभ बढ़ाने के लिए कोष (फ्लोट फंड) जुटाने में मदद मिलेगी.

बयान के अनुसार, भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988, केंद्रीय सतर्कता आयोग कानून, 2003 तथा आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू हैं, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक इससे बाहर हैं.

संगठनों ने दावा किया कि निजी बैंकों को सरकारी कामकाज की अनुमति देने से ऐसे बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं होगी.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक पाबंदी हटाए जाने के इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी. फिलहाल निजी क्षेत्र के कुछ बड़े बैंकों को ही सरकार से जुड़े कामकाज करने की अनुमति दी गई है.

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