किसान आंदोलन: भारत बंद को मिला-जुला असर, टिकैत ने कहा- आंदोलन सफ़ल रहा

 


तीन विवादित कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इस प्रदर्शन के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इन क़ानूनों पर मुहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके पर ‘भारत बंद’ का आयोजन किया था.नई दिल्ली/मुंबई: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियनों के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया.

विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. कई स्थानों पर वे रेल की पटरियों पर भी बैठ गए जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ.


 बंद में शामिल 40 से अधिक किसान यूनियनों के मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (एसकेएम) ने किसान विरोध के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के तीनों कानून पर मोहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके को चिह्नित करने के लिए सोमवार को बंद का आह्वान किया है.हालांकि देश का ज्यादातर हिस्सा इससे प्रभावित नहीं दिखा, उत्तर भारत में ट्रेनों के रद्द होने या देरी से चलने और सीमा पार आवाजाही को रोकने वाले बड़े पैमाने पर यातायात जाम के कारण लोगों को दिक्कत हुई.

बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत बंद सफल रहा. जनता ने इसका समर्थन किया. कोई बात नहीं कि जनता ने कुछ असुविधाओं का सामना किया. एक दिन किसानों के साथ एकजुट रहे, जो पिछले 10 महीने से धूप और गर्मी झेल रहे हैं.

टिकैत ने कहा, ‘हमारा भारत बंद सफल रहा. हमें किसानों का पूरा समर्थन मिला. हम सब कुछ सील नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है. हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई बातचीत नहीं हो रही है.’


गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में नौ महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

अब तक किसान यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.

राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी की आवाजाही सामान्य रही और वहीं दुकानें खुली रहीं, जो किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को केवल ‘सैद्धांतिक समर्थन’ कर रहे हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित शहर की सीमाओं पर अफरातफरी मची रही, जहां किसानों ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्ग को जाम कर दिया.पंजाब के मोगा सहित कई जगहों पर पूर्ण रूप से बंद रहा. किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जाम कर दिया.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केंद्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं. हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए. मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं.’

हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्गों को किसानों ने जाम किया.

जम्मू जिले में प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एमवाई तारिगामी के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता और किसान रैली में शामिल हुए और उन्होंने यहां मुख्य सड़क पर धरना दिया जिससे यातायात बाधित हुआ.

जम्मू में जम्मू कश्मीर किसान तहरीक की ओर से विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र के महासचिव ओम प्रकाश ने कहा कि मजदूर किसान एकता को मजबूत करने की जरूरत है ताकि नव उदारवादी नीतियों तथा किसानों और कामगारों की आजीविका पर हो रहे हमले का मुकाबला किया जा सके.

महाराष्ट्र में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं एवं जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ, जबकि बंद के समर्थन में कई विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया और कई हिस्सों में बाइक रैली निकाली गयी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं. कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की. इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा.

पुणे में एक कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) बंद रहा और किसान समर्थक एक संगठन ने नागपुर में सड़क जाम किया जबकि कुछ जगह प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ दिया गया.

पुणे में वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं, जबकि मंडई क्षेत्र में एक प्रदर्शन बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल (एस), शेतकारी कामगार पक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

गोवा में कोई असर देखने को नहीं मिला है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तटीय राज्य में सार्वजनिक परिवहन और रेलगाड़ियों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा है. बैंक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान खुले हुए हैं.

इस बीच, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने बंद का समर्थन किया.

भारत बंद का मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नजर नहीं दिखा और जनजीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने भारत बंद को समर्थन नहीं दिया. बीकेएस के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार के साथ वार्ता के जरिये किसानों के मसले शांतिपूर्ण ढंग से हल किए जाएं.’

गुजरात में स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण रही. हालांकि राजमार्गों पर अवरोध के कारण कुछ देर तक यातायात के बाधित होने की खबरें हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सुरेंद्रनगर में भी विरोध प्रदर्शन हुए जहां बड़ी संख्या में किसान अहमदाबाद से राजकोट को जोड़ने वाले राजमार्ग पर एकत्र हो गए. लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया.

सूरत के ओलपाड इलाके में किसानों के एक समूह को प्रदर्शन शुरू करने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया. मेहसाणा, साबरकांठा, मोरबी और गांधीनगर जैसे जिलों में सुबह भारी बारिश होने से बंद का समर्थन करने वाले समूहों की योजना प्रभावित हुई.

बिहार में कई विपक्षी दलों ने इस बंद का समर्थन किया है. बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी पार्टी किसानों के देशव्यापी बंद का समर्थन करेगी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटना, भोजपुर, लखीसराय, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, मधेपुरा और नालंदा जिलों में कुछ स्थानों पर यातायात बाधित करने की कोशिश की. पटना में राजद कार्यकर्ताओं और बंद समर्थकों ने बुद्ध स्मृति पार्क के पास यातायात बाधित करने का प्रयास किया और विरोधस्वरूप टायर भी जलाए.’

राजद एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) कार्यकर्ताओं ने पटना, आरा, जहानाबाद और मधेपुरा सहित कई रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन किया हालांकि स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटा दिया.

झारखंड के कई इलाकों में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आह्वान पर बंद समर्थकों ने सड़क एवं राजमार्ग को बाधित किया जिससे वाहनों का जाम लग गया. प्रदेश की राजधानी रांची में दुकानें बंद रहीं, जबकि सरकारी कार्यालय एवं बैंकों में सामान्य दिनों की तरह काम काज हुआ.


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