लखीमपुर खीरी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि वो उनकी जांच से संतुष्ट नहीं है। न्यायालय ने किसी और जाँच एजेंसी को ज़िम्मेदारी सौंपने की भी बात कही है।
इसके बाद न्यायालय ने यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील हरीश साल्वे से पूछा कि अब तक अभियुक्त को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया।
इसपर साल्वे ने कहा कि मुख्य आरोपी को पेश होने का नोटिस भेजा गया है। मुख्य न्यायाधीश ने अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा कि क्या अन्य हत्या के मामलों में भी अभियुक्तों के साथ ऐसा ही व्यवहार होता है? गिरफ्तारी करने के बजाए समन भेजकर काम चलाया जाता है?
सर्वोच्च न्यायलय ने योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए यह भी पूछा कि “अगर किसी आम आदमी ने हत्या की होती, तो भी इसी तरह से जांच की जाती? आखिर हम लोगों को क्या संदेश दे रहे हैं।”
वकील हरीश साल्वे ने जवाब देते हुए कहा, “मैं समझ रहा हूं कि जजों के मन में क्या है, कल तक सारी कमियां दूर कर ली जाएंगी।” बावजूद इसके, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या इस मामले में सीबीआई की सिफारिश की गई?
उनके अनुसार जांच में लोकल फील्ड अधिकारीयों को लगाया गया है और ये दिक्कत की बात है।
मुख्य न्यायाधीश के अनुसार तो सीबीआई भी इसका कोई हल नहीं है, शायद ऐसा इसलिए क्योंकि वो केंद्र के अंतर्गत आती है। सर्वोच्च न्यायलय ने कहा ही कि 20 अक्टूबर को यह मामला लिस्ट में सबसे पहले लिया जाएगा।
दरअसल, लखीमपुर खीरी के पास स्थित तिकुनिया में कुछ दिन पहले 8 लोगों की हत्या कर दी गई। इसमें से 4 प्रदर्शनकारी किसान थे, जिन्हें गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने अपनी गाड़ी से कुचलकर मार डाला। आशीष अब तक फरार है। सवाल उठता है कि अगर अभियुक्त इस तरह से गायब होगा तो सबूतों को मिटाने और पीड़ितों को मैनेज करने का डर बना रहेगा। इस मामले में तो मुख्य अभियुक्त खुद देश के गृह राज्य मंत्री का बेटा है, ऐसा सब करने के लिए उसके पास पॉवर भी है।