उन्होंने कहा, ‘अगर मेरे साथ ऐसा हो सकता है, तो यह किसी के साथ भी हो सकता है. मुझे अपने भारतीय मूल का होने पर गर्व है, लेकिन जिसने भी ऐसा किया है, वह वाकई बहुत बुरा है. मैं 71 साल का हूं और मुझे अमेरिका वापस आने के लिए अतिरिक्त 40 घंटे प्लेन में बिताना पड़ा, जो कि थका देने वाला था. लेकिन मैं मानता हूं कि इससे मेरा जोश कम नहीं होगा और सिंघू बॉर्डर पर लंगर जारी रहेगा. मुझे लोगों को खिलाने की चिंता है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा.’धालीवाल छह जनवरी से सूबेदार करतार सिंह धालीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत अपने पिता की याद में सिंघू बॉर्डर पर लंगर के लिए फंडिंग कर रहे हैं.इस मामले को लेकर पंजाब और पंजाबी समुदाय के लोगों ने कड़ी निंदा की है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है.बादल ने मोदी से व्यक्तिगत रूप से धालीवाल को ‘सद्भावना के भाव’ के तौर पर आमंत्रित करने का अनुरोध किया, जो अनिवासी भारतीयों को एक अच्छा सकारात्मक संकेत भेजेगा.उन्होंने कहा कि ‘लंगर’ जैसे पवित्र सामाजिक-धार्मिक कार्य को आयोजित करना या प्रायोजित करना हमेशा सिख धर्म के प्रत्येक अनुयायी के लिए सर्वोच्च और महान कर्तव्यों में से एक माना जाता है.किसानों के आंदोलन को ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ बताते हुए बादल ने कहा कि इस ‘सभ्य, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन ’ में भाग लेने वालों की मदद करने में कुछ भी गलत या अवैध नहीं है.धालीवाल के छोटे भाई और शिरोमणि अकाली दल के नेता नेता सुरजीत सिंह रखड़ा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने भी मोदी सरकार के रवैये की आलोचना की है.1972 में अमेरिका चले गए धालीवाल के पास विस्कॉन्सिन, कंसास, इलिनोइस, इंडियाना, मिशिगन और मिसौरी जैसे राज्यों में 100 से अधिक पेट्रोल और गैस स्टेशन हैं.धालीवाल ने तमिलनाडु में 2004 की सुनामी के बाद लंगर और वित्त पोषित राहत कार्य में भी मदद की थी. भारत और विदेशों में उच्च अध्ययन करने की इच्छा रखने वाले 1,000 से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति दी. 2,000 से अधिक भारतीयों को अमेरिका में व्यवसाय स्थापित करने में मदद की. साथ ही पंजाब में शैक्षणिक संस्थानों के लिए धन उपलब्ध कराने के अलावा मिल्वौकी में एक सॉकर ग्राउंड बनाने के लिए 1 अरब अमेरिकी डॉलर का दान दिया.उन्होंने कहा, ‘आज सरकार का रवैया भले ही बदल गया हो लेकिन मैंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अमेरिका आने पर उनके सम्मान में दोपहर के भोजन की मेजबानी की थी. लंच के दौरान मौजूद कुल 33 कांग्रेसियों में से 11 का नेतृत्व अकेले मैं कर रहा था.’1990 के दशक में जब पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने बाढ़ प्रभावित पंजाब को बचाने के लिए उनकी मदद मांगी थी, तो धालीवाल ने 10 लाख रुपये का दान दिया, जो उस समय एक बड़ी राशि मानी जाती हैं.इससे पहले बादल ने आनंदपुर साहिब स्थित दशमेश अकादमी को बंद होने से बचाने के लिए मदद मांगी तो धालीवाल ने 40 लाख रुपये मुहैया कराए थे. उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी मातृभूमि की सेवा करने का मौका पाकर बहुत खुश हूं और आगे भी करता रहूंगा.’