लेकिन अपना देश अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को 15 दिसंबर से शुरू करने जा रहा है। हालांकि शनिवार को प्रधानमंत्री ने इस बारे में दिशा निर्देश दिया है कि विभाग इस पर पुन: समीक्षा करे। लेकिन भारत मंे जिस तरह की सतर्कता बरती जा रही है उससे संक्रमण के खतरे की आशंका बढ़ना तय मानी जा रही है। बाहर से आने वाले यात्रियों को सिर्फ बुखार नापने वाले थर्मामीटर से जांच कर आने-जाने की छूट दी जा रही है। जबकि विश्ोषज्ञों का मानना है कि नया म्युटेन बुखार की दस्तक देगा, यह भी पता नहीं है। कोरोना का नया स्वरूप का संक्रमण किस तरह का लक्षण दिखायेगा, कितना खतरनाक होगा, किस तरह की वैक्सीन इसमें कारगर होगी, यह सब कुछ अभी काल के गर्त में हैं। ऐसे में किसी तरह की सावधानी हमारे लिये भारी पड़ सकती है। भारत का हेल्थ सिस्टम भी इतनी बड़ी आबादी को किस तरह सुरक्षित रख पायेगा, यह भी सवाल भस्मासुर की तरह मुंह बाये खड़ा है। हमें इस मौके पर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है।
यही वह समय है जब हमें अपने ऊपर भी नियंत्रण लगाना होगा। जरूरी नहीं हम हर चीज के लिए सरकार की ओर मुंह ताके। हम जिस तरह शादियों में सड़कों पर झूम रहे हैं। आप किसी भी शादी में निकल जाइये मास्क लगाये कोई नहीं दिख्ोगा। अपने देश में ना मास्क का इस्तेमाल हो रहा है, न ही शारीरिक दूरी का । अगर कहें कि धरातल पर कहीं कोविड गाइडलाइन का पालन हो रहा है, तो यह बेमानी होगा। क्योंकि घर से लेकर बाजार तक, कार्यालयों से लेकर व्यवसायिक घरानों तक, सिनेमाहालों से लेकर क्लबों तक कहीं पर भी कोविड की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। न ही मास्क, न सोशल डिस्टेंसिंग और न हाथ धुलना। कहीं यह लापरवाही हमारे अपनों के लिए भारी न पड़ जाये, इसके लिए हमें अभी से सतर्क होना पड़ेगा। अगर हम अभी से सतर्क हो गये तो निश्चित रूप से हम अपनी व अपनों की जान बचा सकेंगे।
आप सोच रहे होंगे कि यह बातें अभी अपने देश व प्रदेश के लिए ठीक नहीं हैं। हमें चिंता करने की जरूरत नहीं हमने वैक्सीन ले ली है, तो यह आपके लिए सबसे बड़ी चूक होगी। क्योंकि राजनेता आपको नहीं बतायेंगे। राजनेताओं को तो 2०22 दिख रहा है। उनको कोरोना नहीं, जिन्ना, पाकिस्तान, शमशान कब्रिस्तान, वोट बैंक, दलित, पिछड़ा, अगड़ा, ब्राह्मण, अल्पसंख्यक, मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुसलमान ही दिखायी पड़ेगा। उनको इसी सब में अगले पांच वर्ष का भविष्य दिख रहा है। लेकिन आपको अपना व अपने परिजनों का भविष्य देखना है। अगर राजनीतिक दलों ने कोरोना के बारे में सोचा होता तो पिछली बार भी पंचायत चुनाव नहीं हुए होते। लेकिन हुए और उसका परिणाम हम सब ने ही भोगा। लिहाजा आप सब इस पर गंभीरता पूर्वक चिंतन करिये क्योंकि हम राजनीतिक दलों के लिए तो सिर्फ एक वोट भर हैं इसके अलावा कुछ नहीं। लेकिन अपने परिजनों के लिए आप क्या हैं, यह आपको तय करना है। आपको रैलियों में भाग लेना है या नहीं, आपको जनसभाओं में जाना ैहै या नहीं, आपको चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है या नहीं, आपको सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना है या नहीं, आपको पारिवारिक शादियों में भाग लेना है या नहीं, आपको क्रिसमस की, नव वर्ष की, ·ान-पर्व आदि में शिरकत करना है या नहीं, यह सब कुछ आपको तय करना है। सब कुछ आप पर निर्भर है। क्योंकि कोरोना के किसी म्युटेन से आप दवाई से नहीं बच सके। उससे आपको सिर्फ सावधानी ही बचा सकती है।