भारत में हर साल 16 जनवरी को मनाया जायेगा ‘नेशनल स्टार्ट-अप डे’: मोदी

 


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने आज देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए देशभर के स्टार्टअप के साथ बातचीत के दौरान कहा कि स्टार्ट-अप्स का कल्चर देश के दूर-दराज तक पहुंचे इसके लिए 16 जनवरी को अब ‘नेशनल स्टार्ट-अप डे’ के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है.

पीएम मोदी ने आज वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए कहा कि देश के उन सभी स्टार्टअप्स को सभी इनोवेटिव युवाओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, जो स्टार्टअप्स की दुनिया में भारत का झंडा बुलंद कर रहे हैं. स्टार्टअप्स का ये कल्चर देश के दूर-दराज तक पहुंचे, इसके लिए अब 16 जनवरी को नेशनल स्टार्ट अप डे के रूप में मनाने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास देश में बचपन से ही छात्रों में इनोवेशन के प्रति आकर्षण पैदा करने और इनोवेशन को संस्थागत करने का है. 9,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स आज बच्चों को स्कूलों में इनोवेटे करने और नए विचारों पर काम करने का मौका दे रही हैं.

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में सुधार का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इनोवेशन को लेकर भारत में जो अभियान चल रहा है, उसी का प्रभाव है कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग में बहुत सुधार आया है. वर्ष 2015 में इस रैंकिंग में भारत 81 नंबर पर था. अब इनोवेशन इंडेक्स में भारत 46 नंबर पर है


मोदी सरकार की प्रमुख पहल स्टार्टअप इंडिया के छठे वर्ष में, कृषि, स्वास्थ्य, उद्यम प्रणाली, अंतरिक्ष, उद्योग 4.0, सुरक्षा, फिनटेक और पर्यावरण सहित विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप प्रधानमंत्री मोदी से मिले. देश के 150 स्टार्टअप्स को छह वर्किंग ग्रुप्स में बांटा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ये ग्रुप, ग्रोइंग फ्रॅाम रूट्स, नजिंग द डीएनए, फ्रॉम लोकल टू ग्लोबल, टेक्नोलॉजी ऑफ फ्यूचर, बिल्डिंग चैंपियन्स इन मैन्युफैक्चरिंग और सस्टेनिबल डेवलेपमेंट को लेकर प्रेजेंटेशन देंगे. हर ग्रुप तय समय के अंदर पीएम मोदी के सामने प्रेजेंटेशन देना होगा. पीएम और स्टार्टअप्स के बीच बातचीत का उद्देश्य यह समझना है कि स्टार्टअप कैसे देश की जरूरतों में सफलतापूर्वक योगदान दे सकते हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस स्पीड और स्केल में आज भारत का युवा स्टार्ट-अप बना रहा है, वो वैश्विक महामारी के इस दौर में भारतीय की प्रबल इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति का प्रमाण है. पहले बेहतरीन से बेहतरीन समय में इक्का-दुक्का कंपनियां ही बड़ी बन पाती थी, लेकिन बीते साल तो 42 यूनिकॉर्न देश में बने हैं. उन्होंने कहा कि हजारों करोड़ रुपये की ये कंपनियां आत्मनिर्भर होते, आत्मविश्वासी भारत की पहचान हैं. आज भारत तेज़ी से यूनिकॉर्न की सेंचुरी लगाने की तरफ बढ़ रहा है. मैं मानता हूं, भारत के स्टार्ट-अप्स का स्वर्णिम काल तो अब शुरू हो रहा है.

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