प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- भारत के पास दो असीम ताकत हैं, एक डेमोग्राफी व दूसरी डेमोक्रेसी. जिस देश के पास जितनी युवा शक्ति होती है, उसकी क्षमताओं को उतना ही व्यापक माना जाता है. भारत के पास ये दोनों ताकत है. उन्होंने कहा कि न्यू इंडिया का मंत्र है मुकाबला करो और जीतो.
बताते चलें कि पीएम ने पुडुचेरी में 25वें युवा महोत्सव का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्धाटन किया है. वह तमिलनाडु में 11 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों का भी उद्घाटन करने वाले हैं.’
मनीषियों का, पुडुचेरी से खास रिश्ता रहा है
पीएम ने कहा, ‘आप सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. भारत मां की महान संतान स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती पर मैं नमन करता हूं.’ बता दें, स्वामी विवेकानंद की जयंती हर साल 12 जनवरी को युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है. पीएम ने आगे कहा, ‘आजादी के अमृत महोत्सव में उनकी जन्मजयंती और अधिक प्रेरणादायी हो गई है. हम इसी वर्ष ऑरबिंदो जी की 150वीं जन्मजयंति मना रहे हैं और इस साल महाकवि सुब्रमण्य भारती जी की भी 100वीं पुण्य तिथि है. इन दोनों मनीषियों का, पुडुचेरी से खास रिश्ता रहा है. ये दोनों एक दूसरे की साहित्यिक और आध्यात्मिक यात्रा के साझीदार रहे हैं.’
बेटियां भी अपना करियर बनाएं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम मानते हैं कि बेटे-बेटी एक समान हैं. इसी सोच के साथ सरकार ने बेटियों की बेहतरी के लिए शादी की उम्र को 21 साल करने का निर्णय लिया है. बेटियां भी अपना करियर बना पाएं, उन्हें ज्यादा समय मिले, इस दिशा में ये एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है. आजादी की लड़ाई में हमारे ऐसे अनेक सेनानी रहे हैं, जिनके योगदान को वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वो हकदार थे. ऐसे व्यक्तियों के बारे में हमारे युवा जितना ज्यादा लिखेंगे, रिसर्च करेंगे, उतना ही देश की आने वाली पीढ़ियों में जागरूकता बढ़ेगी.’
भारत का जन-मन युवा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओपन एयर थियेटर युक्त एक प्रेक्षागृह पेरुनथलैवर कामराजर मनीमण्डपम का उद्घाटन किया है, जिसे लगभग 23 करोड़ रुपये की लागत से पुडुचेरी सरकार ने निर्मित किया है. उन्होंने इसके बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज दुनिया भारत को एक आशा की दृष्टि से, एक विश्वास की दृष्टि से देखती है. क्योंकि, भारत का जन भी युवा है, और भारत का मन भी युवा है. भारत अपने सामर्थ्य से भी युवा है, भारत अपने सपनों से भी युवा है. भारत अपने चिंतन से भी युवा है, भारत अपनी चेतना से भी युवा है.
रूढ़ियों को झटकना जानता है युवा
उन्होंने कहा, ‘आजादी के समय जो युवा पीढ़ी थी, उसने देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने में एक पल नहीं लगाया. युवा में वो क्षमता होती है, वो सामर्थ्य होता है कि वो पुरानी रूढिय़ों का बोझ लेकर नहीं चलता, वो उन्हें झटकना जानता है. यही युवा, खुद को, समाज को, नई चुनौतियों, नई डिमांड के हिसाब से विकसित कर सकता है, नए सृजन कर सकता है. ये भारत के युवाओं की ही ताकत है कि आज भारत डिजिटल पेमेंट के मामले में दुनिया में इतना आगे निकल गया है. पूरी दुनिया के यूनिकॉर्न इकोसिस्टम में भारतीय युवाओं का जलवा है. भारत के पास आज 50 हजार से अधिक स्टार्ट अप्स का मजबूत इकोसिस्टम है. नए भारत का यही मंत्र है. यानि जुट जाओ और जीतो. जुट जाओ और जंग जीतो.’
25 साल की उम्र में विवेकानंद ने ले लिया था संन्यास
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था. स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. वह वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. छोटी उम्र से ही उन्हें अध्यात्म में रुचि हो गई थी. पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद जब वह 25 साल के हुए तो अपने गुरु से प्रभावित होकर नरेंद्रनाथ ने सांसारिक मोह माया त्याग दी और संन्यासी बन गए. संन्यास लेने के बाद उनका नाम विवेकानंद पड़ा.