सुनील त्यागी
गाजियाबाद आगामी 2022 में नगर निगम गाजियाबाद से भावी मेयर प्रत्याशी सुनील त्यागी ने एक संक्षिप्त वार्ता के अंतर्गत कहां है कि गाजियाबाद शुरू से ही औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता रहा है लेकिन बहुत सारी सरकारों की अनदेखी के उपरांत गाजियाबाद अपनी औद्योगिक छाप को धीरे-धीरे खोता हुआ जा रहा है जिसका मूल कारण है कि गाजियाबाद में तकरीबन 27 से भी अधिक औद्योगिक क्षेत्र हैं जिसके अंतर्गत 5000 से भी ज्यादा अधिक औद्योगिक इकाइयां काम कर रही है इन इकाइयों का और अधिक बेहतर तरीके से काम करना हमें सुनिश्चित करना होगा जिसके लिए हमें उन क्षेत्रों में समस्त बुनियादी सुविधाओं को और अच्छी तरह से उपलब्ध कराना होगा सुनील त्यागी ने कहा कि यूपीएसआईडीसी जिन क्षेत्रों को डेवलप करके नगर निगम को सौंप देती है नगर निगम संबंधित क्षेत्रों में विकास कार्य की अनदेखी कर रहा है अगर हम लोहा मंडी की बात करें या बुलंदशहर इंडस्ट्रियल एरिया की बात करें या मेरठ रोड इंडस्ट्रियल एरिया जाकमी नगर इंडस्ट्रियल इंडस्ट्री एरिया की बात करें सभी जगह बुनियादी सुविधाएं ना के बराबर है जबकि बुलंदशहर इंडस्ट्रियल एरिया सड़क मार्ग में वाहनों का चलना दुर्लभ है इन इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में भारी ट्रकों का आवागमन रहता है आपने कहा कि इन समस्त औद्योगिक क्षेत्रों पेयजल की सुविधा भी नहीं है पार्कों का अच्छी तरह से रखरखाव नहीं है सुनील त्यागी ने कहा कि इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में प्लाटों की खरीद-फरोख्त हो या ट्रांसफर हो उस समय बहुत अधिक पैसा उपभोक्ता यूपीएसआईडीसी को देता है उसके बाद भी क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है लोहा मंडी से सबसे ज्यादा राजस्व उत्तर प्रदेश सरकार को जाता है उसके बाद भी नगर निगम लोहा मंडी मैं कोई भी विकास कार्य नहीं कर रहा अगर वहां पर आम नागरिक चला जाए तो उसको टीवी होना सुनिश्चित होगा क्योंकि वहां सड़कों पर गंदगी और धूल बहुत ज्यादा है सुनील त्यागी ने कहा की बहुत आवश्यक है प्रदेश सरकार का शीर्ष नेतृत्व स्थानीय अधिकारियों को सख्त दिशानिर्देश दें जिससे कि गाजियाबाद स्मार्ट सिटी की राह में आगे बढ़ सके और औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं अच्छी हो सके क्योंकि गाजियाबाद की लोहा मंडी को लोग एशिया की सबसे बड़ी मंडी कहते हैं लेकिन सबसे बुरा हाल बुनियादी सुविधाओं में अगर किसी क्षेत्र का है तो वह है गाजियाबाद की लोहा मंडी जिसके लिए यहां की नगर निगम और स्थानीय अधिकारी जिम्मेदार हैं जबकि यूपीएसआईडीसी भी इसमें बराबर का भागीदार है